
धर्मशाला। हिमाचल के कांगड़ा और चंबा जिला में इस माह जनवरी में पांच बार भूकंप आ चुका है। दो जनवरी को चंबा में रात 9 बजक्र 45 मिनट पर भूकंप आया। रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 2.6 आंकी गई थी। इसका केंद्र जमीन से 30 किलो मीटर था। इसके दो दिन बाद 5 जनवरी को चंबा (Chamba) में भूकंप के झटके महसूस किए गए थे। भूकंप दोपहर एक बजकर 09 मिनट पर आया था। इसका केंद्र जमीन से पांच किलोमीटर नीचे था। तीव्रता 3.2 थी। 9 जनवरी को कांगड़ा (#Kangra) जिला के धर्मशाला (Dharamshala), पालमपुर और आसपास के क्षेत्रों में भूकंप (Earthquake) के झटके महसूस किए गए। भूकंप रात 8 बजकर 21 मिनट 50 सेकंड पर आया है। रिक्टर पैमाने पर भूकंप की तीव्रता 4.2 आंकी गई है। भूकंप का केंद्र करेरी में जमीन से 10 किलोमीटर नीचे था।
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जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) में 11 जनवरी को जोरदार भूकंप आया था। रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 5.1 आंकी गई है। भूकंप इतना जोरदार था कि कांगड़ा और चंबा में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं। भूकंप रात 7 बजकर 32 मिनट और 4 सेकंड पर आया। जम्मू-कश्मीर में जमीन से पांच किलोमीटर भूकंप का केंद्र रहा है। इसके बाद 28 जनवरी को धर्मशाला क्षेत्र में 2.8 तीव्रता वाला भूकंप आया। भूकंप के झटके शाम 4 बजकर 46 मिनट पर आए। भूकंप का केंद्र जमीन से 10 किलोमीटर नीचे रहा। हालांकि, इन भूकंप के चलते किसी भी प्रकार की जानमाल के नुकसान की कोई खबर नहीं है। हालांकि, लोग जरूर सहम गए और घरों से बाहर आ गए। आपको बता दें कि रिक्टर स्केल पर आमतौर पर 5 तक की तीव्रता वाले भूकंप खतरनाक नहीं होते हैं, लेकिन यह क्षेत्र की संरचना पर निर्भर करता है। यदि भूकंप का केंद्र नदी का तट पर हो और वहां भूकंपरोधी तकनीक के बगैर ऊंची इमारतें बनी हों तो 5 की तीव्रता वाला भूकंप भी खतरनाक हो सकता है। भूंकप के खतरे के हिसाब से भारत को चार जोन में विभाजित किया गया है। जोन दो में दक्षिण भारतीय (South Indian) क्षेत्र है, जो सबसे कम खतरे वाले हैं। जोन तीन की बात करें तो मध्य भारत, जोन चार में दिल्ली समेत उत्तर भारत का तराई क्षेत्र आता है। जोन पांच में हिमालय, पूर्वोत्तर क्षेत्र तथा कच्छ आता है। जोन पांच को सबसे ज्यादा खतरे वाला माना गया है। हिमालय क्षेत्र इसी जोन में आता है।
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हम कई बार बात करते हैं कि भूकंप के हलके झटके लगने ठीक होते हैं। पर लोगों को भूकंप के मामलों में सावधान रहना जरूरी है। कई बार हलके झटके लगने के बाद बड़े भूकंप भी आते हैं। वहीं, बड़े भूकंप के बाद भी हल्के झटके लगते रहते हैं। भूकंप आने के बाद अगले 24 घंटों तक भूकंप के झटके फिर लगने का खतरा रहता है।
कैसे आता है भूकंप
धरती की प्लेटों के टकराने से भूकंप आता है। आखिर ये प्लेटें हैं क्या, इसके बारे समझना जरूरी है। बता दें कि पूरी धरती 12 टेक्टोनिक प्लेटों पर स्थित है। प्लेटों के नीचे तरल रूप में लावा है। ये प्लेटें इसी लावे पर तैर रही हैं और इनके टकराने से ऊर्जा निकलती है, जिसे भूकंप कहते हैं। ये प्लेंटे बेहद धीरे-धीरे घूमती रहती हैं। इस प्रकार ये हर साल 4-5 मिमी अपने स्थान से खिसक जाती हैं। कोई प्लेट दूसरी प्लेट के निकट जाती है तो कोई दूर हो जाती है। ऐसे में कभी-कभी ये टकरा भी जाती हैं। प्लेटें करीब 30-50 किमी तक नीचे हैं, लेकिन यूरोप में कुछ स्थानों पर ये अपेक्षाकृत कम गहराई पर हैं।
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क्या होता है केंद्र और तीव्रता
भूकंप का केंद्र और तीव्रता की बात करें को केंद्र वह स्थान होता है, जिसके ठीक नीचे प्लेटों में हलचल के चलते भूगर्भीय ऊर्जा निकलती है। यहां पर भूकंप का कंपन ज्यादा होता है। यानी जोर से झटके महसूस होते हैं। कंपन की आवृत्ति ज्यों-ज्यों दूर होती जाती हैं, इसका प्रभाव कम होता जाता है। यदि रिक्टर स्केल पर 7 या इससे अधिक की तीव्रता वाला भूकंप है तो आसपास के 40 किमी के दायरे में झटका तेज होता है, लेकिन यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि भूकंपीय आवृत्ति ऊपर की तरफ है या दायरे में। यदि कंपन की आवृत्ति ऊपर को है तो कम क्षेत्र प्रभावित होगा। हलचल कितनी गहराई पर हुई है। भूकंप की गहराई जितनी ज्यादा होगी सतह पर उसकी तीव्रता उतनी ही कम महसूस होगी।
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