शिमला। हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) में इस समय खाद का संकट चल रहा है। किसान इसके लिए चिंतित हैं। वहीं बागवानों को भी दिक्कतें आ रही हैं। यदि समय पर खाद नहीं मिली तो बागीचों का प्रबंधन रुक जाएगा। किसानों और बागवानों को खाद दिलवाने का जिम्मा हिमफेड (Himfed) के पास है। किसान लगातार हिमफेड के बिक्री केंद्रों में खाद लेने के लिए पहुंच रहे हैं, मगर उनको खाली हाथ लौटना पड़ रहा है। खाद का रेट 1700 रुपए प्रति 50 किलोग्राम है। खाद बर्फबारी से पहले ही सेब बागीचों में डाली जाती है।
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वहीं हिमाचल प्रदेश सब्जी एवं फल उत्पादक संघ के अध्यक्ष हरीश चौहान (Harish Chauhan) ने बताया कि बागवान खाद न मिलने से परेशान हो रहे हैं। हिमाचल प्रदेश में 80 हजार मीट्रिक टन खाद की हर साल मांग रहती है। सरकार के पास 28 हजार मीट्रिक टन खाद पहुंची। इसमें से 16,234 मीट्रिक टन (16,234 MT) खाद किसानों-बागवानों को बेची गई। इसमें से भी अधिकांश खाद गेहूं उत्पादक किसानों ने खरीदी। हिमफेड के अध्यक्ष गणेश दत्त ने बताया कि कोविड काल से ही खाद की कमी चल रही है। यह मामला केंद्र सरकार से उठाया गया है। कोशिश की जा रही है कि बर्फबारी से पहले बागवानों को खाद मिल जाए।
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