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लिफ्ट पार्किंग की बिजली -पानी काटने के खिलाफ दायर याचिका खारिज

शिमला। हिमाचल हाईकोर्ट (Himachal High Court) शिमला के कोर एरिया की सबसे बड़ी लिफ्ट पार्किंग (Lift Parking in Core area of Shimla) की बिजली पानी काटने के खिलाफ दायर याचिका को खारिज (Dismissed the Petition) कर दिया है। न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश विरेंदर सिंह की खंडपीठ ने मामले से जुड़े रिकॉर्ड का अवलोकन करने पर पाया कि प्रार्थी ने साफ नियत से कोर्ट का दरवाजा नहीं खटखटाया बल्कि नगर निगम को देय बकाया राशि के भुगतान से बचने के लिए यह याचिका दायर की है। कोर्ट ने कंपनी के निदेशक गौरव सूद के माध्यम से दायर याचिका को खारिज करते हुए कहा कि प्रार्थी 7 जनवरी को निगमायुक्त द्वारा पारित बिजली पानी काटने के आदेशों के खिलाफ एचपी म्युनिसिपल कारपोरेशन एक्ट 1994 के तहत नगर निगम (Municipal Corporation) के समक्ष अपना पक्ष रख सकता है।

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प्रार्थी उक्त अधिनियम के तहत ही बताई गई अपील अथॉरिटी के समक्ष अपील के माध्यम से विवादित आदेशों को चुनौती दे सकता है। कोर्ट ने प्रार्थी की इस दलील को भी सिरे से नकार दिया जिसके तहत प्रार्थी का आरोप था कि नगर निगम ने यह कार्रवाई प्रतिशोध में की है। प्रार्थी का कहना था कि कंपनी ने कुछ विवादों को लेकर आर्बिट्रेटर को भेजा था इसलिए उसके खिलाफ प्रतिशोध में यह कार्रवाई की गई। कोर्ट ने पाया कि प्रार्थी ने पार्किंग शुरू होने के बाद से समझौते के अनुसार एक भी पैसा नगर निगम को नहीं दिया। इतना ही नहीं पार्किंग पर मोबाइल टावर लगने की कोई राशि निगम को दी जबकि कंपनी ने मुफ्त में तो यह टावर नहीं लगाया होगा। कोर्ट ने इन सभी पहलुओं के दृष्टिगत पाया कि प्रार्थी कंपनी ने याचिका साफ नियत से दायर नहीं की है इसलिए याचिका को खारिज कर दिया। मामले के अनुसार नगर निगम आयुक्त कोर्ट से 3 जनवरी को जारी कारण बताओ नोटिस के आधार पर 7 जनवरी को इस पार्किंग का बिजली और पानी काटने के आदेश जारी किए थे।

पार्किंग कंपनी पर आरोप

नगर निगम आयुक्त (Municipal Commissioner) की ओर से जारी कारण बताओ नोटिस में पार्किंग कंपनी पर आरोप लगाया गया है कि पार्किंग कॉम्प्लेक्स के 6 मंजिला इमारत के निर्माण की अनुमति थी जबकि मौके पर 7 मंजिला इमारत है। ग्राउंड फ्लोर की ऊंचाई अनुमति से दोगुना कर दी गई। पार्किंग के लिए सर्कुलर रोड से केवल 2 एंट्री प्वाइंट की अनुमति थी जबकि मौके पर 3 एंट्री प्वाइंट है। सर्कुलर रोड के लेवल से डेढ़ मीटर ऊंची इमारत बनाने की अनुमति थी जबकि मौके पर यह ऊंचाई पौने 7 मीटर है। इमारत की कुल ऊंचाई 26 मीटर से बढ़ा कर लगभग 34 मीटर कर दी गई। हाईकोर्ट ने संजौली की सबसे बड़ी तांतिया पार्किंग की बिजली पानी काटने के खिलाफ दायर याचिका को भी खारिज कर दिया है। न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान (Justice Tarlok Singh Chauhan) और न्यायाधीश विरेंदर सिंह (Justice Virender Singh) की खंडपीठ ने मामले से जुड़े रिकॉर्ड का अवलोकन करने पर पाया कि प्रार्थी ने साफ नियत से कोर्ट का दरवाजा नहीं खटखटाया बल्कि नगर निगम को देय बकाया राशि के भुगतान से बचने के लिए यह याचिका दायर की है।

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