
बिलासपुर। हिमाचल स्कूल शिक्षा बोर्ड (Himachal School Education Board) ने डीईएलडी (D.El.Ed) एग्जाम लेने की अधिसूचना तो जारी कर दी, लेकिन हॉस्टल खोलने की अनुमति सरकार से नहीं मिल पाई। इसके चलते डाइट (DIET) जुखाला बिलासपुर की बाहरी जिलों की छात्राओं को डीईएलडी एग्जाम से पहले बड़ी परीक्षा देनी पड़ी। हालांकि, इसमें भी दो शिक्षक छात्राओं के लिए खेवनहार बने। छात्राएं परीक्षा दे सकीं और अपना एक वर्ष बचा सकीं। कोरोना के कारण जब डाइट जुखाला के शिक्षक भी छात्राओं को रखने के लिए हाथ खड़े कर गए तब सरकारी स्कूल के दो शिक्षकों ने अपना गुरु धर्म निभाते हुए इन छात्राओं को ना केवल अपने घर में आसरा दिया, बल्कि उनके खाने की व्यवस्था भी निशुल्क की। ऐसे शिक्षकों को हिमाचल अभी अभी (Himachal Abhi Abhi) भी सलाम करता है, जिन्होंने कोरोना संकट को ना देखते हुए छात्राओं के भविष्य को देखा व बेटी बचाओ और बेटी पढ़ाओ के नारे को सार्थक किया। यह शिक्षक हैं माकड़ी गांव से डीपी अमरजीत ठाकुर और मंगरोट गांव से अध्यापक राकेश पाठक।
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कुछ इस तरह का है मामला
प्रदेश भर में डीएलएड की परीक्षाएं चली हुई हैं, परन्तु कोरोना (Corona) के चलते प्रदेश भर की डाइट के हॉस्टल (Hostel) बंद हैं, जिसकी वजह से डीएलएड परीक्षण प्राप्त कर रहे प्रशिक्षुओं को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। सबसे ज्यादा दिक्कतों का सामना उन प्रशिक्षुओं को करना पड़ रहा है जो दूसरे जिला से प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं। ऐसा ही मामला जिला शिक्षण एवं प्रशिक्षण संस्थान जुखाला में सामने आया। जिला शिक्षण एवं प्रशिक्षण संस्थान जुखाला में इस समय प्रदेश भर के छात्र डीएलएड का प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं, जिनमें 52 प्रशिक्षु प्रथम वर्ष तथा 82 प्रशिक्षु द्वितीय वर्ष में प्रशिक्षण ले रहे हैं। प्रथम वर्ष में 52 प्रशिक्षु में से 15 लड़कियां बाहरी जिला से हैं, जबकि दूसरे वर्ष में 82 प्रशिक्षु में से 18 लड़कियां दूसरे जिला से हैं। यह लड़कियां सिरमौर, मंडी (Mandi) व शिमला आदि जिलों से हैं। उनके रहने का प्रबंध डाइट जुखाला में बने छात्रावास में है। जहां रह कर यह अपना प्रशिक्षण पूरा कर रही थीं, परन्तु कोरोना के चलते इन प्रशिक्षुओं की वार्षिक परिक्षाएं तो शुरू हो गईं पर हॉस्टल खोलने की अनुमति सरकार की तरफ से नहीं मिल सकी, जिसके चलते बाहरी जिला की लड़कियों को अपनी वार्षिक परीक्षा देने में काफी समस्या पैदा हो गई।
हालांकि, डाइट स्टाफ ने इन छात्रों की समस्याओं को समझते हुए अपने विभाग से परीक्षा के समय होस्टल खोलने की मांग की, परन्तु उन्हें हॉस्टल खोलने की अनुमति नहीं मिली, जिसके बाद इन छात्रों के सामने परीक्षा देने की समस्या पैदा हो गई। एक-दो दिन की बात होती तब भी कुछ हो सकता था, परन्तु परीक्षा भी 15 दिन तक चलनी थीं, ऐसे में वह ना तो घर से परीक्षा देने के लिए रोजाना आ सकती थीं और कोरोना के चलते उन्हें किराए पर भी कमरे नहीं मिल रहे थे। ऐसे में डाइट के प्रधानाचार्य राकेश पाठक ने इन छात्राओं की समस्या को समझते हुए इनका सहारा बने। उन्होंने डाइट स्टाफ के साथ बैठक की परन्तु कोई भी समाधान नहीं निकल सका, जिसके बाद प्रधानाचार्य ने जुखाला क्षेत्र में कई लोगों से किराए पर मकान देने की बात की परन्तु कोरोना के चलते किराए पर भी कमरे नहीं मिल सके। इसके बाद उन्होंने जुखाला क्षेत्र से शिक्षा विभाग में तैनात अध्यापकों के साथ इस समस्या को सांझा किया और उनसे अपील की कि बाहरी जिला से आई इन लड़कियों को वह अपने घरों में रहने की व्यवस्था करें, ताकि यह लड़कियां अपनी वार्षिक परीक्षा दे सकें।
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इस सुझाव पर भी कई अध्यापकों (Teachers) ने कोरोना का हवाला देते हुए अपने घरों में रखने से मना किया, परन्तु प्रधानाचार्य राकेश पाठक ने भी हार नहीं मानी और वह लगातार इस क्षेत्र से शिक्षा विभाग में तैनात शिक्षकों से इस विषय में बात करते रहे, जिसके बाद कुछ सकरात्मक परिणाम सामने आए और दो अध्यापकों ने इस समस्या को समझते हुए हामी भरी कि वह चार-चार लड़कियों की अपने घरों में रहने की और खाने की व्यवस्था कर देंगे और यह सब व्यवस्था वह निशुल्क करेंगे, इसके लिए वह किसी तरह का कोई शुल्क नहीं लेंगे, जिसके बाद डाइट प्रधानाचार्य ने बाहरी जिला से आई इन लड़कियों की रहने की व्यवस्था की। अब यह लड़कियां इन अध्यापकों के घरों में रह कर अपनी वार्षिक परीक्षा दे रही हैं।
5 दिसंबर तक चलनी हैं पार्ट वन की परीक्षाएं
D.El.Ed पार्ट वन रेगुलर फुल सब्जेक्ट बैच 2019-21, बैच 2018-20 री अपीयर फेल/फुल सब्जेक्ट की परीक्षा 23 नवंबर से शुरू होकर 5 दिसंबर तक चलनी है। पार्ट टू रेगुलर फुल सब्जेक्ट और री अपीयर बैच 2018-20 और फेल फुल सब्जेक्ट बैच 2017-19 की परीक्षा 7 दिसंबर से शुरू होकर 17 दिसंबर तक चलनी है। डाइट के प्रधानाचार्य ने इन दोनों अध्यापकों का धन्यवाद किया है, जिनकी वजह से आज यह लड़कियां अपनी परीक्षा दे पा रही हैं, अन्यथा यह लड़कियां वार्षिक परीक्षा नहीं दे पाती और इनका पूरा साल बर्बाद हो जाता।
वहीं, बाहरी जिला से आई इन लड़कियों ने हमसे बातचीत करते हुए बताया कि जब उन्हें पता चला की वार्षिक परिक्षाए होनी हैं और हॉस्टल बंद हैं, तब उनके सामने बहुत बड़ी समस्या पैदा हो गई। उन्होंने डाइट स्टाफ से इस संदर्भ में बात की परन्तु कोई सकरात्मक जवाब नहीं मिल रहा था जिसकी वजह से उन्हें ऐसा लग रहा था कि वह अब वार्षिक परिक्षाए नहीं दे पाएंगी। डाइट जुखाला के प्रधानाचार्य और स्टाफ उनके लिए सहारा बने जिनकी वजह से आज वह यहां पर रह कर अपनी परिक्षाएं दे पा रही हैं। इन लड़कियों ने कहा कि स्थानीय लोगों द्वारा की गई इस सहायता को उम्र भर याद रखेंगी।
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