
ऊना। भारत देवी देवताओं की पवित्र भूमि है और इसमें हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) को विशेष रूप से देवों की स्थली माना गया है। हिमाचल प्रदेश के जिला ऊना के गांव नारी में विराजमान डेरा ब्रह्मचार्य डेरा बाबा रुद्रानंद (Dera Baba Rudranand) के नाम से सुप्रसिद्ध अपनी समसामयिक, सामाजिक, अध्यात्मिक तथा रचनात्मक गतिविधियों के कारण विशेष व महत्वपूर्ण स्थान रखता है। यहां पंचभीष्म मेले (Panch Bhisham fair) में श्रद्धालुओं ने आस्था और श्रद्धा की डूबकी लगाई। डेरा बाबा रुद्रानंद देश ही नहीं बल्कि विदेश में रहने वालों की भी आस्था का केंद्र है, लेकिन कोविड 19 के दौर में श्रद्धालुओं (Devotees) की संख्या पहले के मुकाबले कम ही रही और श्रद्धालुओं ने कोविड (Covid) नियमों का पालन करते हुए अखंड धूने पर माथा टेका। माता जाता है कि डेरा बाबा रुद्रानंद में पिछले करीब 170 वर्षों से अखंड धूना निरंतर जल रहा है।
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इस आश्रम का प्रमुख देवता अग्रिदेव है, अत: आश्रम में हजारों लाखों श्रद्धालु यहां केवल अखंड अग्रि के प्रति अपनी श्रद्धा भेंट करने के लिए अखंड धूना के सम्मुख नतमस्तक होते हैं। इस अखंड धूने को 1850 में बाबा रुद्रानंद जी ने बसंत पंचमी के दिन अग्नि देव को साक्षी मान स्थापित किया था। इस धूने में हर रोज वैदिक मंत्रों से हवन डाला जाता है, यह सिलसिला शुरू से चलता आ रहा है। अखंड धूने की विभूति को लोग चमत्कारिक मानते हैं। वर्तमान में डेरा के अधिष्ठाता एवं वेदांताचार्य सुग्रीवानंद महाराज सालों से चली आ रही इस परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं। हर साल पंचभीष्म के उपलक्ष्य में जहां कोटि गायत्री महायज्ञ होता है। जिसमें देशभर से आए विद्धान विधिवत पूजा अर्चना करते है और विद्वान् ब्राह्मण यज्ञशाला में कोटि गायत्री का जाप करते हैं।
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पीपल की परिक्रमा और धूने की विभूति लगाने मात्र से उतर जाता है सांप का जहर
डेरा बाबा रुद्रानंद आश्रम नारी के प्रांगण में विद्यमान पांच पीपल कोई साधारण वृक्ष नहीं हैं। यह पांचों पीपल चमत्कारिक हैं। क्योंकि इस जगह सालों पहले पांच ऋषियों ने योग समाधि ली थी, जो बाद में पांच पीपलों के रूप में प्रकट हुए। यह बोध वृक्ष देव तुल्य माने जाते हैं। ऐसी मान्यता है कि इनके नीचे सर्प दंशित व्यक्ति का जहर अखंड धूने की विभूति लगाने से उतर जाता है। पीपलों की परिक्रमा करने से भूतप्रेत बाधा और मानसिक रोगों से मुक्ति मिलती है। हर रोज आश्रम में आने वाले सैंकड़ों श्रद्धालु इन पीपलों की परिक्रमा करते हैं।
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