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कोरोना के बीच लहसुन उत्पादकों की बढ़ी आफत, नहीं मिल रहे उचित दाम

सुंदरनगर। कोरोना (Corona) काल में किसानों और बागबानों पर चौतरफा मार पड़ी है। पहले जहां किसान लंबे समय से कोरोना की मार झेल रहे हैं तो दूसरी ओर क्षेत्र में हुई ओलावृष्टि के कारण सेब की फसल (Apple Crops) भी तबाह हो गई। वहीं, अब किसानों के सामने एक और समस्या पैदा हो गई है। किसानों द्वारा खेतों से निकाली गई लहसुन की फसल (Garlic Crops) को बेचने के लिए उन्हें भारी परेशानी झेलनी पड़ रही है। बाहरी क्षेत्रों के व्यापारी सुंदरनगर के ऊपरी क्षेत्रों में लहसुन की खरीदारी के लिए पहुंच रहे हैं, लेकिन किसानों को लहसुन का सही दाम (Fair price) नहीं मिल रहा हैं और लहसुन की फसल देखकर ही व्यापारी (Merchant) वापिस लौट रहे हैं। इस कारण किसानों को लहसुन की फसल बेचने में भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। लहसुन की खेती करने वाले किसानों ने सरकार से मांग की है कि उनकी लहसुन की फसल को बेचने के लिए कोई उचित व्यवस्था की जाए, जिससे उन्हें फसल का अच्छा दाम मिल सके।

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रोहांडा क्षेत्र की रहने वाली सुनीता कुमारी का कहना है कि पहले क्षेत्र के लोगों को ओलावृष्टि (Hail) की मार झेलनी पड़ी, तो अब बाहरी क्षेत्रों से यहां पहुंच रहे व्यापारी लहसुन का सही दाम नहीं दे रहे हैं। व्यापारियों द्वारा 1 किलो लहसुन की कीमत मात्र 40 से 80 रुपये के बीच लगाई जा रही है उन्होंने कहा कि अगर लहसुन का यही दाम रहा तो उनके द्वारा खेतों में की गई मेहनत बेकार हो जाएगी। उन्होंने सरकार से मांग की है कि लहसुन की खरीदारी के लिए कोई उचित व्यवस्था की जाए ताकि किसानों को लहसुन का सही दाम मिल सके।

 

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