
धर्मशाला। हिमाचल के शक्तिपीठों में तीन माह बाद कल से जयकारे की गूंज सुनाई देगी। प्रदेश सरकार के आदेशानुसार पहली जुलाई से कांगड़ा (Kangra) सहित पूरे प्रदेश के मंदिरों (Temples) के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खुल जाएंगे। अब श्रद्धालु मां के दरबार में हाजिरी लगा सकेंगे। यही नहीं श्रद्धालु गर्भ गृह तक जाकर दर्शन भी कर सकेंगे। हालांकि मंदिरों में आने वाले श्रद्धालुओं (Devotees) को सरकार द्वारा जारी कोरोना गाइडलाइन का पालन करना जरूरी होगा। मंदिरों के कपाट खुलने से जहां देश विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं को मां के दर्शन करने का मौका मिलेगा, वहीं मंदिरों के बाहर लगने वाली दुकानों (Shops) में भी रौनक लौटेगी। मंदिरों के आसपास समान बेचकर अपने परिवार का पालन पोषण करने वाले दुकानदार काफी समय से मंदी की मार झेल रहे थे। कल यानी पहली जुलाई से इनके चेहरे पर भी रौनक लौट आएगी।
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बता दें कि इससे पहले कोविड-19 कर्फ्यू (Covid-19 Curfew) के चलते मंदिरों में श्रद्धालुओं का प्रवेश करना वर्जित कर दिया गया था। यही नहीं श्रद्धालु गर्भ गृह तक भी नहीं जा सकते थे। इसके अलावा प्रसाद चढ़ाने की भी मनाही थी। श्रद्धालु मंदिर के मुख्य गेट से ही माथा टेककर लौट रहे थे। लेकिन सरकार ने पहली जुलाई से प्रदेश के सभी मंदिर श्रद्धालुओं के लिए पूजा अर्चना को खोलने का फैसला लिया है। जिससे मां में अपार श्रद्धा रखने वाले लोगों के लिए यह खुशी की बात है, बल्कि स्थानीय दुकानदार व पुजारी वर्ग भी काफी खुश है। बता दें कि मां ज्वालामुखी, मां चामुंडा नंदिकेश्वर धाम, मां बज्रेश्वरी कांगड़े वाली माता, मां चितंपूर्णी के कपाट श्रद्धालुओं के लिए अप्रैल माह से पूरी तरह से बंद कर दिए गए थे। मंदिरों में सिर्फ पुजारियों को ही पूजा करने की इजाजत थी, लेकिन अब फिर से पहले जैसे श्रद्धालु मां के गर्भ गृह में जाकर दर्शन कर सकेंगे। श्रद्धालु अपने साथ मंदिरों में प्रसाद ले जा सकेंगे। हालांकि मंदिरों में अभी तक भजन, कीर्तन व लंगर व्यवस्था पर रोक रहेगी। अब मंदिर परिसर में श्रद्धालु मुंडन आदि भी करवा सकेंगे।
कोविड नियमों का कड़ाई से करना होगा पालन
प्रदेश सरकार की गाइडलाइन (State Government Guidelines) के अनुसार जिला प्रशासन मंदिरों में आने वाले श्रद्धालुओं के स्वागत के लिए पूरी तरह से तैयार है। प्रशासन ने अपनी तरफ से शक्तिपीठों को आने वाले श्रद्धालुओं के लिए तैयार कर दिया है। मंदिरों में आने वाले श्रद्धालुओं को कोविड-19 नियमों की पालना करनी होगी। मास्क पहनना होगा, एक दूसरे से दो गज की दूरी रखनी होगी और बार बार हाथ को सैनिटाइजर करना होगा। मंदिर प्रशासन की ओर से यह निगरानी की जाएगी कि श्रद्धालु मंदिरों में कोविड-19 नियमों की पालना कर रहे हैं या नहीं। कोविड 19 नियमों की अवहेलना करने वाले श्रद्धालुओं को कोविड.19 के बारे में जागरूक भी किया जाएगा।
प्रदेश सरकार ने 35 मंदिरों का किया है अधिग्रहण
हिमाचल के 35 मंदिरों का सरकार ने अधिग्रहण किया है और यहां चढ़ावे के तौर पर आने वाली रकम मंदिर ट्रस्ट जमा करवाता है। उस पैसे से मंदिर परिसर का सौंदर्यीकरण और अन्य सुविधाओं का विकास किया जाता है।
मां चिंतपूर्णी का मंदिर है सबसे अमीर
हिमाचल के मंदिरों में सबसे अमीर मंदिर ऊना जिला में स्थित मां चिंतपूर्णी का मंदिर है। चिंतपूर्णी मां के खजाने में एक अरब रुपए से अधिक की एफडी के साथ मंदिर के पास एक क्विंटल 98 किलो सोना है। जबकि मां नैना देवी मंदिर के ट्रस्ट में 58 करोड़ रुपए से अधिक की बैंक एफडी व एक क्विंटल से अधिक सोना है। मां श्री नैनादेवी के खजाने में 11 करोड़ रुपए से अधिक की नकदी भी है। इस मंदिर के खजाने में एक क्विंटल 80 किलो सोना और 72 क्विंटल से अधिक की चांदी है। सोना.चांदी के हिसाब से केवल दो मंदिर नैना देवी और चिंतपूर्णी ही भरपूर हैं। मां ज्वालामुखी मंदिर के पास 23 किलो सोनाए 8ण्90 क्विंटल चांदी के अलावा 3ण्42 करोड़ रुपए की नकदी है। कांगड़ा के ही शक्तिपीठ मां चामुंडा के पास 18 किलो सोना है। सिरमौर के त्रिलोकपुर में मां बालासुंदरी मंदिर के पास 15 किलो सोना और 23 क्विंटल से अधिक चांदी है। चंबा के लक्ष्मीनारायण मंदिर के पास भी 15 किलो सोना और करोड़ों रुपए की संपत्ति है। मां दुर्गा मंदिर हाटकोटी के पास 4 किलो सोनाए 2ण्87 करोड़ की एफडी व 2ण्33 करोड़ रुपए नकद हैं।
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