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पीठ पर डाक का बोझ-30 किमी की पैदल यात्रा, नदी -नालों व ग्लेशियरों को करता है पार

वी कुमार/ मंडी। आज के इस दौर में जब आप घर के पास वाली दुकान तक जाने के लिए भी अपनी स्कूटी का सहारा लेते हैं, और आपको कोई ऐसी सरकारी नौकरी मिले, जिसमें आपको रोजाना बोझा उठाकर 30 किमी का सफर तय करना हो, तो क्या आप ऐसी नौकरी करना पसंद करोगे। शायद नहीं। लेकिन हिमाचल प्रदेश में कई ऐसे निष्ठावान कर्मचारी हैं जो ऐसी नौकरी को हंसी-खुशी करते हैं। वे ये नहीं देखते कि उन्हें इसके बदले में कितना वेतन मिल रहा है। आज हम आपको ऐसे ही एक शख्स की कहानी बताने जा रहे हैं जिसे हालही में भारत सरकार ने मेघदूत के अवार्ड से सम्मानित किया है।

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बोझा उठाकर रोजाना 30 किमी का सफर करता है मेघदूत

हम बात कर रहे हैं लाहुल-स्पिति जिला के उदयपुर उपमंडल के तहत आने वाले गौशाल गांव निवासी 56 वर्षीय प्रेम लाल की। 7वीं पास प्रेम लाल 25 मार्च 1981 से डाक विभाग में कार्यरत हैं। 1981 से 2013 तक प्रेम लाल ने गौशाल शाखा डाकघर में बतौर डाक वितरक अपनी सेवाएं दी। 8 अक्तूबर 2013 से इन्हें डाक विभाग में बतौर एमटीएस यानी मल्टी टास्किंग स्टाफ के रूप में अपनी सेवाएं देने का मौका मिला। विभाग ने प्रेम लाल को उप डाकघर उदयपुर में बतौर विभागीय मेल रनर के पद पर तैनाती दी हुई है। प्रेम लाल रोजाना उदयपुर-शालग्रां मेल लाईन पर डाक ले जाने और वापिस लाने का काम करता है। शालग्रां में विभाग का डाकघर है और यहां तक सड़क की कोई सुविधा मौजूद नहीं है। उदयपुर से शालग्रां तक की एकतरफा दूरी 15किमी है। प्रेम लाल रोजाना सुबह 9 बजे उदयपुर से डाक का थैला पीठ पर लादकर शालग्रां के लिए अपनी पैदल यात्रा शुरू करता है। साढ़े चार घंटों की पैदल यात्रा के बाद दोपहर 1.30 बजे शालग्रां पहुंचता है। आधे घंटे के अंतराल में थोड़ा विश्राम करता है और फिर शालग्रां से डाक का दूसरा थैला उठाकर वापिस उदयपुर के लिए निकल पड़ता है। शाम करीब साढ़े 6 बजे उदयपुर पहुंचता है और डाक छोड़ने के बाद अपने घर जा पाता है।

 

रोजाना ग्लेशियरों को पार करके जाना पड़ता है शालग्रां

उदयपुर-शालग्रां मेल लाइन बर्फ से ढका क्षेत्र है। इस क्षेत्र में अक्टूबर के महीने में बर्फबारी होती है और मार्च महीने तक यह क्षेत्र बर्फ से ढका रहता है। इस लाइन पर कई ग्लेशियर और चिनाव नदी की सहायक नदियां हैं। इनमें दरेड नाला, भुन नाला, ग्रेट्टू नाला और भीमबाग नाला आदि शामिल हैं। ग्लेशियरों के लगातार गिरने और हिमस्खलन की आशंका के कारण इस लाइन पर चलना जोखिम भरा है। लेकिन लोगों की डाक उनतक सही समय पर पहुंचे, इसलिए प्रेम लाल वर्ष भर इस रास्ते पर सफर करता है।

 

मेघदूत अवार्ड से पहले मिल चुका है डाक सेवा अवार्ड

प्रेम लाल को भारत सरकार ने 28 जून 2022 का मेघदूत अवार्ड से सम्मानित किया है। इससे पहले प्रेम लाल को 17 अक्तूबर 2021 को विभाग की तरफ से डाक सेवा अवार्ड मिल चुका है। यह अवार्ड मिलने के बाद ही उनका नाम मेघदूत अवार्ड के लिए भेजा गया था, जिसपर भारत सरकार ने अब इस सम्मान से नवाजा है।

 

मेरा काम मेरी दिनचर्या का हिस्सा और सुकून देने वाला

मेघदूत अवार्ड से सम्मानित प्रेम लाल ने बताया कि विभाग ने उन्हें जो दायित्व सौंपा है वे उसपर खरा उतरने का प्रयास करते हैं। यह अब उनकी दिनचर्या का हिस्सा बन चुका है और उन्हें तब ज्यादा सुकून मिलता है जब वे लोगों की जरूरी डाक उनतक पहुंचाने में कामयाब हो जाते हैं। जब तक सेवा में हूं तब तक विभाग के निर्देशों पर काम करता रहूंगा।

निष्ठावान कर्मचारियों पर विभाग को गर्व

मंडी मंडल डाकघर के प्रवर अधीक्षक बली राम ने बताया कि उनके मंडल में कई ऐसे कठिन क्षेत्र हैं जहां पर आज भी पैदल चलकर डाक पहुंचानी पड़ती है। इस कार्य में प्रेम लाल की तरफ अन्य बहुत से निष्ठावान कर्मचारी लगातार डटे हुए हैं। विभाग को ऐसे कर्मचारियों पर गर्व है जिनकी बदौलत हम लोगों को बेहतरीन सेवाएं दे पा रहे हैं। प्रेम लाल को मेघदूत अवार्ड मिलने पर विभाग की तरफ से बधाई और भविष्य के लिए शुभकामनाएं।

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