
चुनाव कहीं भी हो कुछ एक मौकापरस्त हर जगह मिल ही जाते हैं,जो पाला बदलते हैं। हिमाचल में भी है,कोई नई बात नहीं है। तादाद बढ़ती रहती है तो इक्का-दुक्का हर चुनाव में आया राम गया राम का टैग (Tag of Aya Ram Gaya Ram) लेकर घूमते रहते हैं। अबकी मर्तबा भी चुनाव की घोषणा से पहले ही नेताओं में दल बदलने की होड मची रही। इनमें टिकट की चाह पाले बैठे दस से ज्यादा बड़े नेताओं ने पाला बदला। लेकिन कुछ एक का तो हश्र ये हुआ की ना तो यहां के रहे ना ही वहां के। इनमें सबसे बडा चेहरा देहरा से विधायक होशियार सिंह (MLA from Dehra Hoshiar Singh) का रहा है। टिकट की चाह में बीजेपी ज्वाइन की,वहां बात ना बनी तो कांग्रेस की तरफ लपकते रहे,वहां भी बात नहीं बनी तो अंत में निर्दलीय ही चुनाव मैदान में उतरना पडा।
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इसी तरह चिंतपूर्णी व गगरेट से कांग्रेस के 3 बार के विधायक रहे राकेश कालिया को इस मर्तबा कांग्रेस ने टिकट से वंचित कर दिया। हालांकि,कालिया ने बीजेपी ज्वाइन कर ली लेकिन तब तक टिकट का टाइम निकल चुका था। बडा चेहरा कहें तो कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष रहे (Harsh Mahajan) हर्ष महाजन हैं,जिन्होंने कांग्रेस में वर्षों रहने के बाद बीजेपी ज्वाइन कर ली। चुनाव तो वह कांग्रेस में भी लडना नहीं चाह रहे थे, लेकिन अब उसी कांग्रेस पर महाजन गंभीर आरोप लगा रहे हैं, जिसने महाजन को बडा कद व पद दिया। नॉमिनेशन के अंत समय में कांग्रेस के पूर्व नेता एवं शाहपुर से विधायक रहे मेजर विजय मानकोटिया भी बीजेपी के हो गए हैं। मानकोटिया तो खैर हर चुनाव में इधर से उधर निकल ही लेते हैं। कुल्लू से महेश्वर सिंह भी बडा उदाहरण है,ऐन वक्त पर बीजेपी ने टिकट छीन लिया तो निर्दलीय चुनाव मैदान में उतर गए।
ठियोग में इंदू वर्मा (Indu Verma) व कुल्लू में आशीष शर्मा की कांग्रेस में एंट्री तो हो गई लेकिन इन दोनों नेताओं को पार्टी टिकट नहीं दे पाई तो निर्दलीय हो गए। बंजार से कांग्रेस टिकट नहीं मिलने पर आदित्य विक्रम सेन ने भी बीजेपी का दामन थामा है। करीब 6 माह पहले बीजेपी नेता गौरव शर्मा भी आम आदमी पार्टी में शामिल हुए, लेकिन इन्होंने भी टिकट नहीं मिलने पर बगावत कर डाली है। स्व. वीरभद्र सिंह के खास रहे एसएस जोगटा ने भी टिकट की महत्वाकांक्षा से केजरीवाल की पार्टी का दामन थामा। वहां ज्यादा तरजीह नहीं मिलने पर जोगटा फिर से कांग्रेस के हो गए। प्रदेश के पांच नेताओं (Surendra Kaku) सुरेंद्र काकू, लखविंदर राणा, पवन काजल, खिमी राम और दयाल प्यारी को दल बदलने का टैग जरूर मिला है, लेकिन जिस दल में यह शामिल हुए हैं,वहां टिकट पाने में सफल रहे हैं। इस नाते चुनाव मैदान में हैं।
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