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23 साल बाद पंजाब के सभी 12800 गांवों में आज से 24 घंटे ठीकरी पहरा, बिना जांच आने-जाने पर रोक

चंडीगढ़.पंजाब में कोरोनावायरस के बढ़ते संक्रमण के चलते पंजाब सरकार पुरानी परंपरा अपनाते हुए सभी 12800 गांवों में आज से ठीकरी पहरा लागू करेगी ताकि हर आने-जाने वाले पर नजर रखी जा सके। ऐसा करीब 23 साल बाद हो रहा है जब एक साथ पूरे सूबे में ठीकरी पहरा शुरू हुआ हो।

हालांकि कुछ गांवों में पहले से ही सतर्कता बरती जा रही है और गांव के लोगों ने खुद ही गांव के एंट्री पॉइंट पर नाका लगा दिया है ताकि गांव में आने वाले बाहर के लोगों को रोका जा सके और अगर कोई व्यक्ति किसी बीमारी से पीड़ित है तो उसकी जांच कराई जा सके ताकि किसी भी प्रकार से गांव में करोना वायरस का संक्रमण न आ सके। लोगों की जागरूकता को देखते हुए सरकार ने निर्णय लिया है।


डीजीपी कार्यालय ने इसके लिए सभी जिलों के एसएसपी को आदेश जारी कर दिए हैं कि वे अपने-अपने जिले में सभी गांवों में ठीकरी पहरा लागू करवाने का प्रबंध करें। इसके लिए वे ग्रामीणों से बात करके चुनिंदा युवाओं की सहायता ले सकते हैं। वे ऐसे निडर युवाओं को चुने जो गांव में नियम को सख्ती से लागू करा सकें और रात को भी आसानी से गांव की निगरानी कर सकें। डीजीपी ने सभी एसएसपी को निर्देश दिए हैं कि वह संबंधित एसएचओ को सरपंचों पंचों के साथ इस संबंध में बैठक करने के लिए कहें ताकि हर गांव में जल्दी से जल्दी इसने इस ठीकरी पहरे के नियम को लागू करवाया जा सके और कोरोना वायरस के संक्रमण को रोका जा सके। गांव के सरपंच और पंच युवाओं को चुनने में पुलिस की सहायता कर सकते हैं। इसके साथ ही नियम लागू करने में भी उनकी अहम भूमिका रहेगी।


छोटे गांव लगा सकते हैं पहरा
कुछ जिलों में कई कई गांव छोटे छोटे हैं, और उनको जाने वाला मुख्य मार्ग भी एक ही है। इसलिए सरकार ने फैसला किया है कि ऐसे तीन चार गांव मिलकर अपने अपने मुख्य मार्ग पर अपने वालंटियर्स के जरिये यह ठीकरी पहरा लगा सके ताकि हर आने जाने वाले पर नजर रखी जा सके।


पंजाब में लगभग 12800 गांव हैं। हर गांव में पुलिस तैनात कर पाना संभव नहीं है। कुछ दिनों में यह देखने में आया है कि कुछ जागरूक लोग खुद ही गांव में पहरे पर तैनात हैं और हर आने जाने वाले पर नजर रख रहे हैं। इसी के मद्देनजर सरकार ने ठीकरी पहरा फिर से लागू करने का फैसला लिया है। -दिनकर गुप्ता, डीजीपी
फिर पंचायत सेक्रेटरी को माफी मांग छुड़ानी पड़ी जान
चंडीगढ़ | गांवों की एंट्री पर ग्रामीण खुद ही नाके लगा रहे हैं। सोमवार को रोपड़ के दो गांवों ने एंट्री पाॅइंट पर नाका लगा रखा था। वहां पंचायत सेक्रेटरी पहुंचे। वह गांवों का दौरा करना चाहते थे। लेकिन नाके पर ग्रामीणों ने रोका और आईकार्ड दिखाने को कहा, जिसमें वे असमर्थ रहे। उन्होंने कहा कि वे पंचायत सेक्रेटरी हैं, लेकिन इस समय उनके पास आईकार्ड नहीं है, लेकिन ग्रामीण नहीं माने। इस कारण सेक्रेटरी ने इसकी शिकायत वहां के एसएसपी को कर दी। एसएसपी पहुंचे और पूरी जानकारी ली। ग्रामीणों ने कहा कि हम कोरोनावायरस के संक्रमण रोकने के लिए नाका लगाए हुए हैं। बिना पहचान के किसी को गांव में जाने नहीं दे सकते। इस पर पंचायत सेक्रेटरी ने ग्रामीणों से माफी मांगी और उन्होंने यह भी कहा कि सभी अफसर आपना आईडी लेकर ही चलेंगे।

इनसे बचने के लिए शुरू हुए थे ठीकरी पहरे
पंजाब में आतंकवाद के बाद 1997 से 2006 तक लूटपाट करने वाले गिरोहों ने पंजाब के गांव में लूटपाट शुरू कर दी थी। उस समय सभी गांव में ठीकरी पहरे लागू कर दिए गए थे। उस समय पंजाब में एक बड़ा काला कच्छा गिरोह सक्रिय था, इसलिए उनकी धरपकड़ के लिए सभी गांव में ठीकरी पहरे लागू कर दिए गए थे। इससे लोगों को जानमाल की रक्षा करने में काफी मदद मिली थी। इस पहरे को पहले ग्रामीणों ने अपने स्तर पर शुरू किया था बाद में इसकी सराहना करते हुए सरकार ने लागू कर ाया था।

पंजाब में किस जिले में कितने गांव
1. अमृतसर 777
2. बरनाला 133
3. बठिंडा 296
4. फरीदकोट 176
5. फतेहगढ़ 454
6. फिरोजपुर 1015
7. गुरदासपुर 1630
8. होशियारपुर 1429
9. जालंधर 965
10. कपूरथला 697
11. लुधियाना 927
12. मानसा 245
13. मोगा 332
14. मुक्तसर 238
15. पटियाला 931
16. रूपनगर 621
17. मोहाली 438
18. संगरूर 585
19. नवांशहर 476
20. तरनतारन 493


क्या होगा ठीकरी पहरे से लाभ
सरकार का मानना है कि सभी गांव में ठीकरी पहरा लागू होने से कोई भी व्यक्ति बिना जांच के किसी भी गांव में एंटर नहीं कर सकेगा। इससे कोरोना वायरस के फैलाव को रोकने में मदद मिलेगी। इसके साथ ही उन लोगों की भी जल्द पहचान हो सकेगी जो लोग अपने अपने गांव से इस समय बाहर रह रहे हैं।



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ऐसा करीब 23 साल बाद हो रहा है जब एक साथ पूरे सूबे में ठीकरी पहरा शुरू हुआ हो।


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