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काम नहीं बचा, खाने-पीने को पैसे नहीं, अब लौट जाना ही बेहतर

चंडीगढ़ .यूटी एडवाइजर मनोज परिदा ने एक दिन पहले मीडिया के सामने बयान दिया था कि प्रवासी लोगों को चंडीगढ़ से बाहर नहीं जाने दिया जाएगा। जब तक कर्फ्यू नहीं हट जाता, उनके यहीं रहने की व्यवस्था की जाएगी और उन्हें खाने-पीने का इंतजाम भी किया जाएगा। लेकिन प्रशासन के दावे हवा-हवाई साबित हो रहे हैं। हर रोज सैंकड़ों प्रवासी मजदूर शहर छोड़कर अपने-अपने घरों को लौट रहे हैं। रविवार को भी ऊना से करीब 50 प्रवासी मजदूर पैदल चल कर चंडीगढ़ पहुंचे। इन लोगों ने यूपी के अलग-अलग शहरों में जाना था। उनकी भीड़ को देखकर रेड क्रॉस के कुछ वॉलंटियर्स ने उन्हें रोक लिया और उन्हें खाना खिलाया।


वॉलंटियर्स ने पुलिस को फोन भी किया। पुलिस की टीम मौके पर पहुंची और उन्हें रुकने के लिए कहा। लेकिन लोग रुके नहीं। लोगों ने कहा कि अब उनके पास न तो कोई काम-धंधा है और न ही इतने पैसे बचे हैं कि वे यहां इतने दिनों तक गुजारा कर सकें। कर्फ्यू के कारण बसें-ट्रेनें भी नहीं चल रही हैं, जिस कारण ये प्रवासी मजदूर पैदल ही अपने घरों को लौटने को मजबूर हो रहे हैं। इन लोगों का कहना था कि अब वे चाहते हैं कि अपना समय अपने परिवार और बच्चों के साथ बिताएं। इसलिए अब उनका लौट जाना ही बेहतर है। पुलिस ने उन्हें रोकने की कोशिश की, लेकिन वे मानें नहीं और वापस चले गए। ऐसे बहुत से प्रवासी मजदूर हैं जो सैंकड़ों किलोमीटर पैदल चल कर अपने गांवों को लौट रहे हैं।



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प्रवासी मजदूर आराम करने के लिए पेड़ों के नीचे बैठ गए।


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