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कोरोना कर्फ्यू के बीच गेहूं कटाई की मजदूरी 3 से 6 हजार प्रति एकड़ पहुंची, किसान परेशान

कोराेना वायरस के प्रकोप को खत्म करने के लिएलॉकडाउन के चलते जो अन्न के दाने सबसे ज्यादा काम आए, उसी अन्न की उपज करने वाले अन्नदाताओंपर इस बार गेहूं की कटाई से लेकर गेहूं को मंडी में बेचने तक दोगुनी आर्थिक मार सहनी पड़ेगी। जिसकी शुरूआत गेहूं कटाई पर ही साफ देखने को मिल रही है।

कटाई के लिए ज्यादा पैसों की मांग

लॉकडाउन के बाद काफी संख्या में मजदूर अपने-अपने गांवों की ओर कूच कर गए है। ऐसे में जो थोड़े बहुत मजदूर गांवों में रह गए है वे अब अपनी मजदूरी के लिए किसानों से ज्यादा पैसों की मांग कर रहे है। गेहूं की फसल पक चुकी है, ऐसे में किसान गेहूं की फसल की कटाई करवाने के लिए मजदूरों के पास पहुंच रहा है। लेकिन मजदूर पिछली बार के 3 हजार प्रति एकड़ की बजाए 6 हजार रुपए एकड़ मांग रहे हैं। यदि कोई दूसरा व्यक्ति 6 हजार से ज्यादा रेट मजबूरी में दे तो फिर मजदूर उसके पास चले जाते हैं।

मशीनों की कमी

ऐसे में गेहूं कटाई की मशीनें कम होने के कारण किसान गेहूं कटाई करने को लेकर बेहद परेशान है। कालका विधायक प्रदीप चौधरी ने तो सरकार से किसानों के लिए इस संकट में 5 हजार एकड़ स्पेशल बोनस देने की मांग है। लेकिन किसान को इस दौर में मदद की उम्मीद सरकार पर टिकी है।

एक एकड़पर 20-22 हजार रुपए आ रहा खर्चा

गेहूंकी पैदावार के लिए किसानोंको एक एकड़का खर्च 20 से 22 हजार तक पहुंच रहा है। ऐसे में उसके लिए मामूली बचत से अपने परिवार का पेट भरना बेहद कठिन है। क्योंकि खेत जोतने 3 हजार, दवाइयां 2 हजार, डीएपी-यूरिया 2 हजार, 1 हजार का बीज, स्प्रे लेबर-सिंचाई और फसल ढुलाई 5 हजार, गेहूं कटाई 6 हजार, गेहूं निकालने का 2 हजार इत्यादि खर्चे मिलाकर किसान पर गेहूं की उपज करना भारी पड़ रहा है। यदि किसान को सरकार की मदद मिल जाए तो उसके लिए फसल के मुनाफे को बढ़ाने में मदद मिल सकती है।

किसानों को 5 हजार प्रति एकड़ स्पेशल बोनस दें: प्रदीप
किसान की संकट की घड़ी में कांग्रेस विधायक प्रदीप चौधरी ने राज्य की गठबंधन सरकार से मांग करते हुए किसानों को गेहूं की कटाई से लेकर बेचने की प्रक्रिया के बीच 5 हजार रुपए स्पेशल बोनस देने की मांग उठाई है। उन्होंने खास बातचीत में बताया कि किसान पर इस बार वाकई में दुगुना से भी ज्यादा आर्थिक खर्च बढ़ा है। ऐसे में किसान को भी मदद की सरकार की जिम्मेदारी बनती है। यदि हम अन्नदाता को मजबूत नही करेंगे तो फिर किसान कैसे संपन्न होगा और आज घर पर बैठकर उसी किसान का अन्न खाने को काम आ रहा है। जो इस वक्त लॉकडाउन के कारण मुसीबत में है।



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पंचकुला के आसपास खेतों में पककर कटने के लिए तैयार खड़ी गेहूं की फसल।


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